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लेखनी कहानी -21-Feb-2023 बलिदान

भाग 3 


जग्गी जैसे गुंडे मवालियों के कारण प्रेम नगर का नाम अपराध नगर हो गया था । जग्गी का बेखौफ साम्राज्य था । किसी की हिम्मत नहीं थी जो उसके खिलाफ एक शब्द भी बोल जाये । सार्वजनिक रूप से लोगों को अपमानित करने और उन्हें सार्वजनिक रूप से दण्ड देने में जग्गी को बड़ा मजा आता था । इससे उसका भय और बढ जाता था और लोग उसका विरोध करना कम कर रहे थे । लोगों को पता था कि उनकी बात सुनने वाला सरकार में कोई नहीं है इसलिए जग्गी के आदेश का पालन करना ही बुद्धिमानी है । बड़े बड़े सेठ साहूकारों ने मंथली बंधी बांध दी थी । नौकरी पेशा करने वालों ने भी उसकी दासता स्वीकार कर ली थी । जिसने उसकी बात नहीं मानी उसके बच्चों का अपहरण कर लिया गया । झक मारकर उसे फिरौती में दस गुना राशि देनी पड़ती थी । 
सुदर स्त्रियों का घर से बाहर निकलना लगभग बंद हो गया था । जग्गी न केवल दौलत का लुटेरा था बल्कि वह हुस्न का लुटेरा भी था । सुंदर स्त्री उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी । जिस किसी सुंदर स्त्री को वह देख लेता था उसे पाने के लिए वह छटपटा उठता था । उस सुंदर लड़की या स्त्री को या तो उठवा लिया जाता था या फिर उसके घर में ही जग्गी पहुंच जाता था । उसे रोकने वाला कौन था ? वह अपनी मर्जी का मालिक था । जो मन में आता , वही काम करता था वह । 

एक बार एक आदमी ने उसे पैसे देने से मना कर दिया । जग्गी के आदमी उसे पकड़कर बीच बाजार ले आये । बीच बाजार में उसके कपड़े फाड़ दिये गये । उसका मुंह काला किया गया और उसे गधे की पूंछ से बांध दिया गया । गधे पर हंटर बरसाये गये तो गधा सरपट भाग लिया । गधे के पीछे पीछे वह आदमी घिसटता चला गया । गधे को तब तक दौड़ाया गया जब तक कि वह आदमी मर नहीं गया । इस घटना से पूरे अपराध नगर में दहशत व्याप्त हो गई । जग्गी दादा का खौफ और बढ़ गया । 

इसी तरह एक बार एक सुंदर स्त्री पर उसकी निगाह पड़ गई । जग्गी को वह स्त्री पसंद आ गई । जग्गी ने उसके घर संदेशा भिजवा दिया । उस स्त्री के घरवाले उसे भेजने की तैयारी करने लगे पर उस स्त्री ने जाने से इंकार कर दिया । उस स्त्री के पति और ससुर को अच्छी तरह पता था कि उसे जग्गी की खिदमत में पेश नहीं करने का परिणाम क्या होगा ? उन्होंने उसे बहुत समझाया मगर वह टस से मस नहीं हुई । घरवाले बहुत निराश हुए । 

जब वह स्त्री जग्गी के अड्डे पर नहीं पहुंची तो जग्गी बहुत नाराज हुआ । उसके गुर्गे आये और तीनों को पकड़कर ले गये । जग्गी ने जब तीनों से पूछा तो बाप बेटे ने सारी बात बता दी । जग्गी का क्रोध सातवें आसमान पर चढ गया । उसने कुछ सोचा और उस स्त्री को ऐसी सजा देने का निश्चय किया जिससे फिर किसी अन्य स्त्री की हिम्मत ना हो मना करने की । उसने अपने सबसे विश्वस्त गुर्गे को बुलवाया और उसे अपनी योजना समझाई । गुर्गे ने योजना सुनकर एक जोरदार अट्टहास किया जिसे सुनकर तीनों प्राणी डर गये । 

तीनों को रस्सियों से बांधकर बीच सड़क पर लाया गया । सारे गुर्गे उनके चारों ओर एकत्रित होकर नाचने कूदने लगे और पत्थर मारने लगे । एक गुर्गा एक झपट्टा मारता और अपने हाथ में कपड़े का एक टुकड़ा लेकर आ जाता । इस तरह तीनों के कपड़े तार तार हो रहे थे और उनका बदन कपड़ों की झालरों से बाहर झांक रहा था । पत्थर मारने से जगह जगह खून निकल रहा था । जैसे ही एक पत्थर उनके शरीर से टकराता , वैसे ही एक जोर की चीख वातावरण में गूंज उठती । इसी के साथ एक करुण आर्तनाद की स्वर लहरी भी बहने लगती थी । धीरे धीरे सारे कपड़े साथ छोड़ गये और सारे बदन पर पत्थरों ने अपने चिन्ह बना लिये । तीनों व्यक्ति इतने घायल हो चुके थे कि अब एक कदम भी चलना भारी पड़ रहा था । 

बाजार के सबसे व्यस्त चौराहे पर जब वे पहुंचे तब तक बाजार लगभग बंद हो चुका था । लोग दहशत में दुकानें बंद करके भाग रहे थे । जिसको जिधर जगह मिली, उधर भाग गया । लोग अपने अपने घरों की छत पर चढकर नजारा देखने लगे । दरिंदगी की इंतेहा की जा रही थी । दोनों पुरुषों के समक्ष उस स्त्री के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जा रहा था । लोग डरकर घरों के अंदर दुबक गये । वह स्त्री दुर्दांत व्यवहार को ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसने वहीं पर,दम तोड़ दिया । दोनों पुरुष भी कब तक अत्याचार सहते ? आखिर कोई तो सीमा होती है सहने की ? उन्होंने भी वहीं दम तोड़ दिया । अब बात आई कि इन लाशों का क्या करें ? चूंकि जग्गी एक मिसाल पेश करना चाहता था इसलिए उसने आतंक का नया कीर्तिमान स्थापित करने का मन बना लिया । 

उसने अपने पालतू कुत्ते छोड़ दिये जिन्होंने उन तीनों प्राणियों की बोटी बोटी नोंच ली । यह सब कुछ बीच बाजार हो रहा था, सरेआम । पर वहां इस वीभत्सता को देखने वाला कोई न था । सब लोग अपने अपने घरों में दुबके पड़े थे । बर्बरता का नंगा नाच हो रहा था वहां । क्रूरता चरम पर थी और इंसानियत का जनाजा निकल गया था । 

जब कुत्तों का पेट भर गया तब गुर्गों ने उन कंकालों को उनके घर के बाहर फेंक दिया और गालियां बकते हुए जग्गी के अड्डे पर लौट आये । 

(शेष अगले अंक में ) 

श्री हरि 
23.2. 23 

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7 Comments

RISHITA

29-Sep-2023 07:16 AM

Amazing

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Sushi saxena

26-Feb-2023 10:57 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Feb-2023 08:11 AM

धन्यवाद मैम

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बेहतरीन भाग

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Feb-2023 08:11 AM

धन्यवाद आदरणीय

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